*प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल में हुआ स्व. सतीश चंद्र गुप्ता ‘विभव’ जी व स्व. श्रीमती श्यामा गुप्ता जी की प्रतिमा का अनावरण*

*प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल में हुआ स्व. सतीश चंद्र गुप्ता ‘विभव’ जी व स्व. श्रीमती श्यामा गुप्ता जी की प्रतिमा का अनावरण*

प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल के आधारस्तंभ *स्व. श्री सतीश चंद्र गुप्ता ‘विभव’ व स्व. श्रीमती श्यामा गुप्ता जी* के शिक्षा के क्षेत्र में अथक प्रयासों को सम्मान देने व उनकी स्मृति को जीवंत बनाए रखने हेतु उनकी *प्रतिमा का अनावरण 16 मार्च, 2025 को प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल, दयालबाग* में किया गया।

समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ उनके चित्र पर माल्यार्पण कर *डॉ. सुशील गुप्ता, सुनीता गुप्ता, रेखा गुप्ता, सुनील गुप्ता एवं समस्त विभव परिवार* द्वारा किया गया।

तदोपरांत कार्यक्रम उद्घोषिका अर्सला नदीम के द्वारा दोनों महान विभूतियों का संक्षिप्त परिचय दिया गया।

तत्पश्चात् *भारतीय विद्यापीठ व प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल* के शिक्षक समूह द्वारा मनोहारी नृत्य व गीत प्रस्तुति दी गई, जिससे विद्यालय परिसर में उपस्थित सभी लोग आनंदप्रद हो गए।

इस अवसर पर उपस्थित अतिथिगण *डॉ. शम्मी कालरा, के.के.पालीवाल, डॉ. आर.एस. पारीख, डॉ . एम.सी. गुप्ता, श्रीमती शारदा गुप्ता, रेखा गुप्ता, सुमित गुप्ता, उमेश गुप्ता, नवीन खंडेलवाल, श्री मोहन खंडेलवाल, एस.एन. सिंघल, वंदना घोष द्वारा सतीश जी व श्यामा जी से संबंधित रोचक व भाव-विभोर कर देने वाले संस्मरण* प्रस्तुत किए गए।

तत्पश्चात् *परिवार की तीसरी पीढ़ी – शलब, सुयश व शिल्पी* के द्वारा भावात्मक पारिवारिक स्मृतियांँ प्रस्तुत की गईं, जिसे सुनकर सभी लोग भावुक हो उठे।

इस अवसर पर *विभव अभिव्यक्ति* प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया, जिसके *परिणाम इस प्रकार रहे-*

*जसनूर सिंह* (प्रथम विजेता को 31000 रुपए)

*सिमरन शर्मा* (द्वितीय विजेता को 21000 रुपए)

*यश्वी उपाध्याय* (तृतीय विजेता को 11000 रुपए)

*डौली छापरिया* (प्रथम सांत्वना पुरस्कार विजेता को 5100 रुपए)

*श्रेया चाहर* (द्वितीय सांत्वना पुरस्कार विजेता को 5100 रुपए)

विभव जी के छोटे बेटे *सुनील गुप्ता* द्वारा आभारस्वरूप मधुर शब्दों ने पूरे प्रांगण में एक सकारात्मक माहौल बना दिया।

अंत में *स्व. सतीश चंद्र गुप्ता ‘विभव’ जी व स्व. श्रीमती श्यामा गुप्ता जी की प्रतिमा का अनावरण उनके घनिष्ठ मित्र डॉ. एम.सी. गुप्ता* के द्वारा किया गया, जिससे पूरा परिसर करतल ध्वनियों से गुंजायमान हो गया।

समारोह का समापन समूह चित्र व भव्य अपराह्नकालीन भोज के साथ हुआ।