*फिर उजाले उजाले नज़र आएंगे..*

*फिर उजाले उजाले नज़र आएंगे..*

*पूर्व जेलर स्वर्गीय श्री श्याम लाल वर्मा श्रद्धांजलि समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती रमा वर्मा ‘श्याम’ की दो पुस्तकों का हुआ लोकार्पण*

*लेखिका एवं प्रकाशक श्रीमती नीलम रानी गुप्ता को मिला वर्ष 2025 का श्याम वर्तिका साहित्य सेवा सम्मान*

आगरा। श्याम वर्तिका ट्रस्ट और साहित्य साधिका समिति के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को यूथ हॉस्टल में पूर्व जेलर स्वर्गीय श्री श्याम लाल वर्मा श्रद्धांजलि समारोह मैं कृतज्ञ शहर वासियों द्वारा उनके भावपूर्ण स्मरण के साथ उनकी धर्मपत्नी वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती रमा वर्मा ‘श्याम’ के गीत संग्रह ‘तुम अँधेरों से लड़ने का साहस करो’ और लघु उपन्यास ‘कुछ याद करो कुर्बानी’ का लोकार्पण किया गया।
आरबीएस कॉलेज की पूर्व प्राचार्य और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुषमा सिंह ने गीत संग्रह की समीक्षा करते हुए इन गीतों को हारे थके निराश लोगों को ऊर्जा प्रदान करने वाला बताया।
लघु उपन्यास की समीक्षा करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. आरएस तिवारी ‘शिखरेश’ ने कहा कि पुस्तक में एक ओर इतिहास, स्वातंत्र्य आंदोलन का संघर्ष, बलिदान, गौरव गाथा है और दूसरी ओर होल्कर वंश की मानवीय एवं राष्ट्रीय चेतना की खुशबू।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जयसिंह नीरद ने कहा कि युवा पीढ़ी एक ओर कुंठित और हताश है तो दूसरी ओर सारे विकल्प बिखर चुके हैं, ऐसे में रमा जी की यह कृति भविष्य के प्रति उन में एक नया विश्वास जगाती है।
समारोह अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र मिलन, विशिष्ट अतिथि श्रीमती शांति नागर और दुर्ग विजय सिंह दीप ने भी रमा वर्मा जी की बहुआयामी रचना धर्मिता को मुक्त कंठ से सराहा। यशोधरा यादव यशो ने रमा वर्मा के रचना संसार पर प्रकाश डाला।
सभी का स्वागत और आभार व्यक्त करते हुए श्रीमती रमा वर्मा ‘श्याम’ ने जब लोकार्पित गीत संग्रह का ‘अर्थवान जीवन करते हैं’ गीत पढ़ा तो लोग उसकी भावधारा में गहरे डूब गए।
समारोह में ‘रूह से प्रकाशन’ की निदेशक व लेखिका श्रीमती नीलम रानी गुप्ता को वर्ष 2025 का श्याम वर्तिका साहित्य सेवा सम्मान प्रदान किया गया।
नूतन अग्रवाल ने रमा वर्मा का लोकप्रिय गीत ‘तुम अंधेरों से लड़ने का साहस करो, फ़िर उजाले उजाले नजर आएँगे’ सुनाकर दिल जीत लिया। समारोह में सुशील सरित और पूजा तोमर ने रमा वर्मा के गीतों को संगीतबद्ध प्रस्तुत किया तो सब सुध बुध भूल गए। राज मैसी ने तबले और सुभाष सक्सेना ने हारमोनियम पर संगत की।
इससे पूर्व मीरा परिहार ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। समारोह का कुशल संचालन सुशील सरित ने किया।
अतिथियों का स्वागत गौरव गुंजन, आशुतोष वर्मा, राजेंद्र सिंह, श्रीमती कमला सैनी, डॉ. रेखा कक्कड़, प्रेमलता मिश्रा ने किया।
इस दौरान नीलम भटनागर, कुसुम चतुर्वेदी, अशोक अश्रु, मधु भारद्वाज, साधना वैद, राज फौजदार, शेष पाल सिंह शेष, शलभ भारती, सुनीता चौहान, शैलजा अग्रवाल, नन्द नंदन गर्ग, रीता शर्मा, राजीव शर्मा निष्पृह, रामेन्द्र शर्मा रवि, अलका अग्रवाल, इंदल सिंह इंदु, यशोयश, चंद्रशेखर शर्मा, डॉ. मंजू स्वाति, किरन शर्मा, कांची सिंघल, आभा चतुर्वेदी, माया अशोक, हरीश भदौरिया और कामेश सनसनी सहित शहर के तमाम कवि साहित्यकार मौजूद रहे।