अखिल भारतीय कवि सम्मेलन की श्रृंखला में “काव्यधारा” ग्यारह कवि सम्मेलन आयोजित


आगरा २४ अप्रैल २०२५, अखिल भारतीय कवि सम्मेलन की श्रृंखला में “काव्यधारा” ग्यारह कवि सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य संस्कृति विरासत दर्शन और साहित्य था |

कार्यक्रम की पृष्ठभूमि
लेख़क निर्देशक सूरज तिवारी ने बताया कि कवि सम्मेलन ग्लैमर लाइव फिल्म्स, साहित्य सरगम दिल्ली एवं अध्यंत फाउंडेशन के बैनर तले आयोजित किया गया,इस तरह के कार्यक्रम शहर में साहित्यिक गतिविधियों को सुचारू रखने और युवापीढ़ी में साहित्य, संस्कृति,विरासत और दर्शन को ज़िंदा रखने का ज़रिया भी है।
आध्यंत फाउंडेशन के नीरज तिवारी ने ऐसे कार्यक्रम को युवाओं के लिए रीढ की हड्डी बताया |

कार्यक्रम ऑटिजम से परेशान बच्चों के स्कूल आध्यंत फाउंडेशन शाहगंज में किया गया, कार्यक्रम पूरी तरह से निःशुल्क है।साहित्यपप्रेमियों ने इसका रसपान किया |

निमंत्रित कविगण
देश के नामचीन कवियों को बुलाया गया है जो राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों में अपने कवितापाठ से देश के हृदय में वास करते हैं। कवियों में ममता शर्मा जी, पवन आगरी, रमेश मुस्कान, एलेश अवस्थी, पदम गौतम एवं आगरा शहर के वीर रस के तेज़ी से उभरते युवा कवि ईशान देव शामिल थे |

उपस्तिथजनों में:
आध्यंत फाउंडेशन के नीरज तिवारी, डॉ सुधीर धाकरे, डॉ डी वी शर्मा वरिष्ठ चिकित्सक, डॉ मधु भारद्वाज साहित्यकार, सम्पादक रजनी सिंह , डॉ अरुण शर्मा मोशन अकैडमी, कुलदीप ठाकुर, दुर्गाविजय सिंह चौहान, डॉ राजकिशोर राजे इतिहासकार, डॉ विनोद कुमार,शिव चौहान ब्रज रिकॉर्ड्स, अर्जित शुक्ला,अर्पित शुक्ला आदि थे |
कवियों के मुख्य काव्यापाठ
“प्यार के बिन कोई मीत बनता नहीं।”
स्वर के बिन कोई संगीत बनता नहीं।।
गीत लिख लिख के मैने तो जाना यही।
दर्द के बिन कोई गीत बनता नहीं।।””””
ममता शर्मा ,
तुमने घाटी के सीने पर बारूदी पौधे बोए हैं
जब भी तुम पर विश्वास किया, रण वीर बाँकुरे खोये हैं
तुमने दहशतगर्दी फैलाने वालों के तलवे चाटे
हमने तुमको सौगातें दीं, तुमने लाशों के सिर काटे
धोखे से मारे जाने को, रणवीर नहीं दे पाएंगे
अब घर में घुसकर मारेंगे, कश्मीर नहीं दे पाएंगे
रमेश मुस्कान
भैया ये स्वतंत्र भारत है
यहां खाने की सबमें आदत है
पवन आगरी
घर के इन दुश्मनों को छांटना होगा
देश के गद्दारों को अलग बांटना होगा
बहुत दूध पिला चुके सांपों को आस्तीन में
सर अबके उठाया है इन्हें काटना होगा
पदम गौतम
अबके धरती गगन शुद्ध हो जाने दो।
कोई होता हो तो क्रुद्ध हो जाने दो।
हे नरेंद्रम अगर राष्ट्र रक्षा के हित,
युद्ध होना हो तो युद्ध हो जाने दो।।

ऐलेश अवस्थी

मानवता के दर्शन से ना
ना ही प्रेम प्रदर्शन से,
दुष्टों से निपटारा संभव
केवल चक्र सुदर्शन से।
– ईशान देव 🙏🏻🙏🏻💐💐🥰🥰

दर्शकों ने अंत तक आनंद लिया |