संस्कार भारती, आगरा महानगर, बृज प्रान्त द्वारा प्रथम नमन काव्य गोष्ठी 9 दिसम्बर 2024 को डा कैलाश सारस्वत के क्लिनिक, आवास विकास कालोनी,आगरा पर आयोजित की गई.
संस्कार भारती, आगरा महानगर, बृज प्रान्त द्वारा प्रथम नमन काव्य गोष्ठी 9 दिसम्बर 2024 को डा कैलाश सारस्वत के क्लिनिक, आवास विकास कालोनी,आगरा पर आयोजित की गई.
इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष आर्कीटेक्ट राजीव द्विवेदी, डा कैलाश सारस्वत, वरिष्ठ कवि प्रभुदत्त उपाध्याय एवं शेष पाल सिंह “शेष” ने मां सरस्वती और इंजिनियर जतिन उपाध्याय के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करके काव्य गोष्ठी का शुभारम्भ किया.
वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि रामेंद्र शर्मा “रवि” ने सरस्वती वन्दना की.
वरिष्ठ कवि डा शेष पाल सिंह “शेष” की कविता करतल ध्वनि के साथ सुनी गई
शाश्वत सिद्धांतमयी,निश्छल मन है अपना।
स्वर्गस्थल अंतस्तल,उज्ज्वल मन है अपना
विषभरा यहीं घट है, पीयूष खोज लेंगे,
वसुधा मधुमय करनी,निर्मल मन है अपना।
कवि प्रणव कुमार कुलश्रेष्ठ टूण्डला (फिरोजाबाद) ने काव्यपाठ किया
शहर छोड़ गांव को आया प्रकृति सुदरी बैठी होगी ।
आया जब से ढूंढ़ रहा हूं किसी अहं में ऐंठी होगी ।
बचपन की पोखर को भागा ताल तलैया मैड़ नहीं थी ।
मिष्ठ सिघाड़े खग कुल सा पहली सी पहचान नहीथी ।।
महिला एक वहां बैठी थी सोचा उस पर गैंटी होगी ।
शहर छोड़ गांव को आया प्रकृति सुंदरी बैठी होगी ।
कवि प्रभु दत्त उपाध्याय ने पढ़ा
जब से उन्होंने एक विदेशी महिला द्वारा चालीस की उम्र तक बीस बच्चे पैदा करने के बारे में सुन लिया है।
उन्होंने भी परिवार नियोजन का अपना कार्यक्रम गठबंधन सरकार के न्यूनतम साझा कार्यक्रम की तरह बदल दिया है।
वरिष्ठ कवियत्री डा शशि गुप्ता ने काव्यपाठ किया
लहर लहर लहराता चल,
जीवन गीत सुनाता चल,
नादिया सी मस्ती में झूमकर,
रसभीनी,बीन बजाता चल॥
घोर तिमिर की हो आँधी,
निशा घनेरी जाय न फाँदी,
आशाओं के दीप सजाकर,
हर मुश्किल को हराता चल॥
कवि रामेंद्र कुमार शर्मा “रवि” ने काव्यपाठ किया
‘मेरा भारत देश महान’
ऋषि मुनियों का देश हमारा,
प्यारा भारत देश महान।
सत्य सनातन धर्म हमारा,
भारत माँ की हम संतान।
कवि एवं पत्रकार भानु प्रताप सिंह को तालियों से सुना गया
जब मेघ बरसते रह-रह कर,
छाता बन जाती थी अम्मा।
बिजली कड़की काँप गया मैं,
गले लगाती थी अम्मा।।
कवि ब्रजबिहारी लाल “बिरजू” के जोशीले काव्यपाठ को करतल ध्वनियों से सुना गया
ख़ुशामद चापलूसी की
किरायेदार होती है।
मुहब्बत दिल की पूंजी की
बक़ायेदार होती है।।
बहाने लाख करलो पर
सचाई छुप नहीं सकती।
नज़र तो प्यार के ज़ल्वों की
ताबेदार होती है।।
कवि प्रभुदत्त उपाध्याय ने काव्यपाठ किया
इंसान की मौत को तमाशा बना देते हैं लोग।
चार दिन की जिंदगी में क्या रंग दिखलाते हैं लोग।
वरिष्ठ कवियत्री डा शुभदा पाण्डेय ने काव्यपाठ किया
धान अब पकने को है
पक्षी अपना हिस्सा लेना जानते हैं ।
झुकी हुई बालियां महक रही
शाम के गदबेले में।
कवि रविन्द्र वर्मा को खूब मन से सुना गया
कभी अचानक अपने राही,
जाने कहाँ चले जाते हैं ।
जीवन भर का दुख दे जाते,
लौट नहीं फिर आ पाते हैं ।।
काव्य गोष्ठी में कवि आचार्य यादराम सिंह किंकर, इंजीनियर हरवीर परमार, हरेश अग्रवाल “ढपोरशंख” , डा रमेश आनंद, विनय बंसल, प्रणव कुमार कुलश्रेष्ठ (टूंडला), निवेदिता दिनकर, डा हरवीर सिंह परमार “तांतपुर” , राजीव कावतरा “आगरावासी”, da असीम आनन्द, आशीष शर्मा, उपेन्द्र सिंह चौहान, नूतन अग्रवाल “ज्योति” , आचार्य निर्मल (मथुरा), योगेश चन्द्र शर्मा “योगी” , डा यशोयश, डा केशव शर्मा, अवधेश उपाध्याय, सुमन शर्मा, उमाशंकर “आचार्य” , हरिओम यादव “तिरंगा”, आदि ने भी काव्यपाठ किया.