सेन्ट एन्ड्रूज पब्लिक स्कूल कर्मयोगी में मूर्खानन्द विश्वविद्यालय का 36वां दीक्षांत समारोह ;महामूर्ख सम्मेलन

सेन्ट एन्ड्रूज पब्लिक स्कूल, कर्मयोगी के वातानुकूलित सभागार में 36वें दीक्षान्त समारोह का शुभारम्भ गर्धवराज का पूजन व आरती के साथ किया गया। सर्वप्रथम शोभा यात्रा में अध्यक्ष प्रो. लवकुश मिश्रा, टूरिज्म एण्ड होटल मैनेजमेन्ट विभाग, विशिष्ट अतिथि राकेश चन्द्र शुक्ला व मूर्खानन्द विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. गिरधर शर्मा, कुलसचिव राज बहादुर सिंह ’राज’, एवं सभी उपाधि धारकों ने ढोल नगाड़ो के साथ विशेष परिधान पहनकर सभी अतिथियों ने मंच की ओर प्रस्थान किया। मूर्खानन्द विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. गिरधर शर्मा ने कुलपति अभिभाषण प्रस्तुत किया। इस अवसर पर पवन आगरी को मूर्ख शिरोमणि, सदानन्द भ्रह्मभट्ट को काक शिरोमणि, आदर्श नन्दन गुप्त को महामूर्ख खबरची, डाॅ. सपना गोयल को चपला चंचलासुश्री, डाॅ. वत्सला प्रभाकर को मूर्खमणि रत्न, प्रो. डाॅ. नीलू शुक्ला शर्मा को मूर्खमौलिमणि रत्न, पवन बंसल को महामूर्खाधीश की उपाधियाँ व प्रशस्ति पत्र प्रदान किये गये। सभागार में उपस्थित श्र्रोताओं ने सभी प्रस्तुतियों पर काॅंव-काॅंव की ध्वनि करके कवियों का उत्साहवर्धन कर वातावरण को हास्य और उल्लास से परिपूर्ण किया। अध्यक्षता कर रहे लवकुश मिश्रा ने अपने उद्बोधन में महामूर्ख सम्मेलन का इतिहास बताया एवं इसके संस्थापक स्व. डाॅ. राम अवतार शर्मा जी से सम्बन्धित रोचक संस्मरण से अवगत कराया और बृज-भाषा का प्रयोग करते हुए श्र्रोताओं को हँसने के लिए वाध्य कर दिया और कहा कि होली के अवसर पर मूर्खता भी जरूरी है और मूर्ख बनकर ही जीवन का आनन्द लिया जा सकता है। उन्हांेने ‘‘जो रस बरस रहयो वृन्दावन वो रस तीन लोक में नाये’’ गाकर श्र्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कुलसचिव श्री राजबहादुर सिंह राज ने मूर्खाें का मांग पत्र जारी किया। इस अवसर पर सभी उपाधि धारकों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये। विद्यालय की एम.डी. ओशिन शर्मा ने सभी सम्मानित अतिथियों का एवं सभागार में उपस्थित जनसमूह का धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम के अन्त में लकी ड्रो का प्रथम पुरस्कार सोनम गुप्ता द्वितीय पुरस्कार प्रेणना चौहान एवं तृतीय पुरस्कार बबिता मंगल को दिया गया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अंशू सिंह, डाॅ. निधि सक्सेना, विकास गोयल, आलोक वैष्णव, भूदल यादव, अंजना गुप्ता, विक्की कथूरिया, आदित्य अग्रवाल, रिषभ सिंह, के.एल. शर्मा एवं अनुभव बंसल आदि का उल्लेखनीय योगदान रहा।