*1965 एवं 1971 के युद्ध के वीर सैनिक और मरुस्थल में हरित क्रांति के जनक लेफ्टिनेंट कर्नल जहीर सिंह राठौड़ नहीं रहे।*

*1965 एवं 1971 के युद्ध के वीर सैनिक और मरुस्थल में हरित क्रांति के जनक लेफ्टिनेंट कर्नल जहीर सिंह राठौड़ नहीं रहे।*

अत्यंत दुःख के साथ सूचित किया जाता है कि 1965 एवं 1971 के युद्ध के वीर सैनिक लेफ्टिनेंट कर्नल जहीर सिंह राठौड़ (मेरे ससुर) का आज प्रातः देहावसान हो गया।

आपका जन्म एटा जिले के सरौठ गांव में हुआ था तथा वे भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के विशेष आग्रह पर सन् 2012 के विधानसभा चुनाव में अलीगंज से भाजपा के उम्मीदवार थे।

कर्नल राठौर शेख मुजीबुर्रहमान की मुक्तिवाहिनी के प्रशिक्षक तथा उन्होंने सन् 1971 के भारत पाक युद्ध में बांग्लादेश को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई थी।

आपने अपनी तैनाती के दौरान मरुस्थल पोखरण कैंटोनमेंट में चार हज़ार पेड़ लगाकर वन विभाग को हैरान कर दिया था। तत्पश्चात उनकी इस उपलब्धि से प्रभावित होकर भारत सरकार ने रेगिस्तान में वृक्षारोपण का संकल्प लिया। इसलिए उन्हें मरुस्थल में हरित क्रांति का जनक भी कहा जाता है। आज पोखरण कैन्ट में सड़क किनारे जितने भी विशाल वृक्ष हैं वे उन्हीं की देन है।

आपने 1981 में फौज से अपने पैतृक गांव सरौठ में छुट्टी के दौरान उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में आतंक का पर्याय दस्यु छविराम व उसके गिरोह से अकेले गाँव में मुकाबला कर गांव वालों की डकैती और जान से रक्षा की थी। इस बहादुरी के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने उन्हें सम्मानित किया था।

आप आठ विश्व रिकॉर्ड धारक व पूर्व सैनिक कल्याण परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष ग्रूप कैप्टन डॉ कुँवर जय पाल सिंह चौहान के ससुर थे।

आपने अपने पीछे एक पुत्र व तीन पुत्रियों का भरा पूरा परिवार छोड़ा है।

उनका अंतिम संस्कार आज शाम 04 बजे पूर्ण सैनिक सम्मान के साथ ताजगंज श्मशान घाट पर होगा। शव यात्रा उनके निवास Flat No. 110, Grand Fort Society, St. Francis School के सामने, पश्चिम पुरी, सिकंदरा से पूर्ण सैनिक सम्मान के साथ राष्ट्रीय ध्वज में प्रस्थान करेगी।