-प्रधानमंत्री के संज्ञान में लाना चाहते हैं, सिविल एंक्लव

आगरा पर्यटन कारोबार के अनुकूल स्थितियों वाला महानगर है।संपर्क माध्यम ( connectivity medium) इसकी स्थापित जरूरत है। इन माध्यमों में भी हवाई संपर्क (air connectivity ) सबसे अहम है। जब देश में छोटे छोटे शहरों तक को खास जरूरी न होने पर भी हवाई अड्डे बनाकर एयर कनेक्टिविटी जोडा जा रहा है,वहीं आगरा के नागरिकों और व्यावसायिक हितों को पूरी तरह से अनदेखा किया हुआ है। इसकी क्या वजह है,इस पर नागरिक संगठन होने के नाते सिविल सोसायटी ऑफ आगरा चिंता व्यक्त कर ,भारत सरकार के समक्ष महानगर की इस जरूरत को केवल उठा ही सकती है।

अपने इसी दायित्व का निर्वहन कर आगरा के एयरपोर्ट का मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संज्ञान में लाए जाने के लिये 25 अप्रैल को उनकी प्रस्तावित आगरा यात्रा की पूर्व वेला में यह प्रेस कांफ्रेंस कर रहे हैं।
नागरिकों की वेदना है कि श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले भाजपा के स्टार प्रचारक के रूप में आगरा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर केंद्र में सरकार बनी तो आगरा में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनवायेगे।दस साल पूर्व 2013 में कोठी मीना बाजार के मैदान में की गयी इस घोषणा के क्रियान्वयन का शहरवासी अब तक इंतजार कर रहे हैं।आगरा की कारोबारी जरूरत के अनुरूप इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाया जाना तो दूर वायुसेना परिसर आगरा में स्थित सिविल एन्क्लेव के संचालन स्तर में भी लगातार गिरावट आयी है और अब यह सहज जन पहुच हवाई अड्डों में नहीं माना जाता है।भरपूर व्यावसायिक अवसरों की मौजूदगी के बावजूद अव्यवहारिक स्थितियों के कारण अधिकांश एयरलाइंस इसे अपने रूट में शामिल नहीं करना चाहती हैं।
शायद सिविल एन्क्लेव को शिफ्ट करने का काम हो गया होता किंतु आगरा के जनप्रतिनिधियों के द्वारा न तो संसद और नहीं विधानमंडल के सदनों में सरकार के समक्ष कभी आवाज नहीं उठायी गयी।सिविल सोसायटी ऑफ आगरा केवल इतना ही कह सकती है कि अगर सदनों में प्रश्न-उत्तर के रूप में भी उठाया होता तो अब तक सिविल एन्क्लेव शिफ्टिंग हो गयी होती ।
दरअसल राजनीतिज्ञों के द्वारा लम्बे समय तक को टीटी जैड का क्षेत्र होने की बात कही जाती रही ,बाद में सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के कारण मामला अटका रहने की दलील दी गयी किंतु अब तो सभी अनुमतियां मिली हुई हैं और जमीन भी कई सालों से उपलब्ध है किंतु फिर भी एयरपोर्ट शिफ्ट होना तो दूर आगरा की एयर कनेक्टिविटी का ग्राफ तक निचले स्तर पर पहुंच जाने तक को नजरअंदाज किया हुआ है।
उत्तर प्रदेश में वर्तमान में आगरा हवाई अड्डा सहित 15 एयरपोर्ट हैं ,लेकिन इनमें से शायद ही कोई मुनाफे में संचालित होता हो ।एक प्रकार से इनमें से अधिकांश राजकोषीय घाटा देने वाले बने हुए हैं।जबकि आगरा सिविल एन्क्लेव जिस दिन भी एयरफोर्स स्टेशन से बाहर आ जायेगा उसी दिन से यह मुनाफे में संचालित होने लगेगा।
प्रधानमंत्री के संज्ञान में यह भी लाना चाहते हैं कि आगरा में एयरपोर्ट बनने में हो रही देरी उस विदेशी निवेशक के हित में प्रतीत होती है जो कि जो कि गंभीर पर्यावरण स्थितियों और प्रदूषण अधिकाता को दृष्टिगत टी टी जैड से भी अधिक गंभीर माने जाने वाले एन सी आर(नेशनल कैपिटल रीजन ) एयरपोर्ट बना रहा है।
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा विदेशी निवेश पर तो कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है किंतु आगरा के नागरिक ,पर्यटन व्यवसाय और स्थानीय आर्थिक गतिशीलता के प्रति सरकार और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को अनदेखा नहीं कर सकती।
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा का प्रयास था कि उसके प्रतिनिधि मंडल को पी एम से मुलाकात को अवसर मिले किंतु यह संभव न हो पाने पर सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के द्वारा फतेहाबाद रोड पर ‘आई लव आगरा’ नामक स्थान पर धरना देने को अनुमति लेने का प्रयास किया गया किंतु प्रशासन के द्वारा लिखित रूप से इसकी अनुमति नहीं दी गयी।
जैसा कि आप जानते हैं कि सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के लिये आगरा की एयरकनैक्टिविटी हमेशा महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है ,इस लिये इसे सर्वश्री शिरोमणि सिंह,अनिल शर्मा,राजीव सक्सेना , अमित सिंह काँग्रेस शहर आद्यक्ष, असलम सलीमी आदि सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के प्रतिनिधि प्रेस कांफ्रेंस कर प्रिंट,इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के माध्यम से इसे उठा रहे हैं