प्रेमचंद की यथार्थवादी रचनाएँ कालजयी

आज आगरा क्लब में उत्तर प्रदेश लेखिका मंच द्वारा उपन्यास सम्राट प्रेमचंद का स्मरण किया गया। इस अवसर पर आयोजित गोष्ठी में उन्हें सामाजिक कथा साहित्य का अग्रणी साहित्यकार और यथार्थवादी रचनाओं का कालजयी रचनाकार कहा गया। महिलाओं के चित्रण में उन्होंने जान जागरूकता जगाने का कार्य किया और भ्रष्टाचार, बल विधवापन, सामंती व्यवस्था, ग़रीबी, और उपनिवेशवाद के विरुद्ध संघर्ष को केंद्रबिंदु बनाया।

गोष्ठी में प्रेमचंद के रचनाओं पर सभी सदस्यों ने अपने विचार रखे। सौ वर्ष बाद भी उनकी रचनाओं के प्रासंगिकता पर सब आश्चर्यचकित थे। आज के समय व तारीख़ में भी प्रेमचंद की कहानियों बिलकुल आज की सी लगती है।
सभी सदस्यों ने प्रेमचंद साहित्य में से अपने पसंद की रचनाओं का वाचन किया।

मंच की अध्यक्ष ने कज़ाकी कहानी का पाठ करते हुए धनपत राय के प्रेमचंद बनने के पथ पर प्रकाश डाला।
प्रेमचंद की कहानी मंत्र का वाचन सुजाता सिंह ने किया।
मानसी खन्ना के प्रेमचंद की सबसे छोटी कहानी बंद दरवाज़ा सुनाई तथा कहानी के अर्थ पर प्रकाश भी डाला।
गीता यादवेंदु ने परीक्षा कहानी सुनाई तथा दीवान के चयन की प्रक्रिया पर प्रकाश डाला।

ज्योत्सना सिंह ने कार्यक्रम संचालन किया तथा राजश्री यादव ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

संगोष्ठी में प्रीति आनंद (अध्यक्ष), शारदा गुप्ता, डॉ. गीता यादवेंदु, हेमलता जैन, राजश्री यादव, रजनी सिंह, दलजीत ग्रेवाल, ज्योत्सना सिंह, ममता गुप्ता, ज्योति शर्मा, सुजाता सिंह, करुणा सिंह, गीता शर्मा, मानसी खन्ना, रेणु राजवीर, आदि उपस्थित रहे।